OPS New Update : पिछले दो दशकों से देश के लाखों सरकारी कर्मचारी एक ही मांग को लेकर सड़कों पर उतरे हुए हैं—ओल्ड पेंशन स्कीम यानी पुरानी पेंशन व्यवस्था को दोबारा लागू किया जाए।
1 अप्रैल 2004 को जब केंद्र सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) को खत्म करके नई पेंशन योजना (NPS) लागू की थी, तभी से इस फैसले के खिलाफ विरोध की शुरुआत हो गई थी, जो आज भी थमी नहीं है।
सरकार के रुख में आई नरमी, कर्मचारियों को मिली उम्मीद
अब इस मुद्दे पर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। खबर है कि सरकार पुरानी पेंशन योजना को दोबारा लागू करने पर विचार कर रही है। यानी सरकार ने आखिरकार कर्मचारियों की लंबे समय से चली आ रही मांग को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया है। यह खबर आते ही कर्मचारियों के बीच एक नई उम्मीद जगी है, और कई लोग इसे एक सकारात्मक संकेत मान रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार भी हुई एक्टिव
केंद्र के साथ-साथ कई राज्य सरकारें भी अब इस मुद्दे को लेकर एक्टिव हो गई हैं। खासकर उत्तर प्रदेश की योगी सरकार इस दिशा में सक्रियता से काम कर रही है।
कर्मचारियों की बढ़ती नाराजगी और लगातार हो रहे आंदोलनों को देखते हुए सरकारों को भी एहसास हो गया है कि यह सिर्फ एक राजनीतिक मुद्दा नहीं, बल्कि लाखों कर्मचारियों की रिटायरमेंट के बाद की सुरक्षा से जुड़ा मामला है।
एनपीएस से ओपीएस में लौटने का विकल्प चाहिए कर्मचारियों को
सरकारी कर्मचारी अब खुलकर यह मांग कर रहे हैं कि उन्हें NPS से OPS में लौटने का विकल्प दिया जाए। उनका कहना है कि नई पेंशन योजना बाजार आधारित है, जिसमें रिटायरमेंट के बाद कोई तय और सुरक्षित पेंशन नहीं होती। वहीं, पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित और स्थायी पेंशन मिलती थी, जिससे जीवन यापन आसान होता था।
कर्मचारियों का मानना है कि जो लोग वर्षों तक सरकार की सेवा करते हैं, उन्हें रिटायरमेंट के बाद कम से कम इतनी सुरक्षा तो मिलनी ही चाहिए कि वे सम्मान से अपना जीवन बिता सकें। यही वजह है कि अब वे सिर्फ विरोध नहीं कर रहे, बल्कि सरकार से स्पष्ट तौर पर मांग कर रहे हैं कि उन्हें पुरानी पेंशन योजना में वापस लौटने का विकल्प दिया जाए।
क्या सच में लौटेगा OPS?
फिलहाल सरकार ने इस मुद्दे पर विचार की बात कही है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। फिर भी इतना तय है कि कर्मचारियों की आवाज अब अनसुनी नहीं की जा रही। आने वाले समय में अगर सरकार इस पर कोई ठोस फैसला लेती है, तो यह देशभर के सरकारी कर्मचारियों के लिए एक बहुत बड़ी राहत होगी।