Tenant Rights – आजकल किराए पर रहना आसान नहीं रह गया है, खासकर बड़े शहरों में। हर दिन हजारों लोग किराए का मकान ढूंढते हैं और जैसे तैसे एक घर मिल भी जाए तो सुकून नहीं मिलता, क्योंकि मकान मालिक कब किराया बढ़ा दे कुछ कहा नहीं जा सकता। कई बार तो कुछ ही महीनों में किराए की रकम बढ़ा दी जाती है, जिससे किराएदार की जेब पर सीधा असर पड़ता है। ऐसे में ये जानना बहुत जरूरी है कि एक साल में मकान मालिक किराया कितना बढ़ा सकता है और किराएदार के अधिकार क्या हैं।
रेंट एग्रीमेंट क्यों है जरूरी
जब भी आप किराए पर घर लें, सबसे पहले रेंट एग्रीमेंट जरूर बनवाएं। ये एक कानूनी दस्तावेज होता है जिसमें ये तय होता है कि मकान मालिक और किराएदार के क्या हक और जिम्मेदारियां होंगी। बिना एग्रीमेंट के रहना जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि कोई भी विवाद होने पर आपके पास कुछ साबित करने को नहीं रहेगा।
11 महीने का एग्रीमेंट क्यों होता है
अक्सर आपने देखा होगा कि लोग 11 महीने का ही रेंट एग्रीमेंट बनवाते हैं। इसके पीछे वजह ये है कि 12 महीने से ज्यादा के एग्रीमेंट को रजिस्ट्रेशन कराना पड़ता है, जबकि 11 महीने वाला बिना ज्यादा कानूनी झंझट के काम में आ जाता है। इस पर स्टांप ड्यूटी भी कम लगती है, जिससे दोनों पक्षों का खर्चा भी बचता है।
किराएदार के जरूरी हक
किराएदार के कुछ ऐसे अधिकार होते हैं जिन्हें मकान मालिक नजरअंदाज नहीं कर सकता। जैसे कि पानी, बिजली और सीवरेज जैसी बेसिक सुविधाएं। मकान मालिक इन सुविधाओं से इंकार नहीं कर सकता, हां एग्रीमेंट में जो शर्तें तय होंगी उनके हिसाब से खर्च जरूर ले सकता है। इसलिए एग्रीमेंट साइन करने से पहले ये सब बातें साफ कर लें कि कौन सी सुविधाएं किराए में शामिल हैं और किनके लिए अलग से पैसे देने होंगे।
किराया कितना बढ़ सकता है एक साल में
अब बात करते हैं सबसे जरूरी मुद्दे की – किराया बढ़ाने की। ये नियम हर राज्य में अलग-अलग हो सकते हैं। जैसे कि महाराष्ट्र में रेंट कंट्रोल एक्ट 1999 के अनुसार, मकान मालिक सालाना 4 प्रतिशत तक ही किराया बढ़ा सकता है। अगर वह घर में कोई बड़ी सुविधा जोड़ता है जैसे फर्नीचर, गीजर या एसी, तो किराया 25 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है। इसलिए किराएदार को हमेशा ये देखना चाहिए कि क्या वाकई ऐसी कोई सुविधा जोड़ी गई है या सिर्फ बहाने से किराया बढ़ाया जा रहा है।
रेंट एग्रीमेंट के फायदे दोनों के लिए
रेंट एग्रीमेंट सिर्फ किराएदार के लिए नहीं बल्कि मकान मालिक के लिए भी फायदेमंद होता है। मकान मालिक की प्रॉपर्टी सुरक्षित रहती है और किराएदार गैरकानूनी तरीके से उसमें कब्जा नहीं जमा सकता। वहीं, किराएदार को भी ये भरोसा रहता है कि उसका किराया अचानक से नहीं बढ़ाया जाएगा और उसे बिना वजह मकान से निकाला नहीं जा सकता।
अगर लंबी अवधि का एग्रीमेंट चाहिए तो
कुछ लोग स्थिरता के लिए 2-5 साल तक का रेंट एग्रीमेंट चाहते हैं। ये भी संभव है, लेकिन इसके लिए सब रजिस्ट्रार ऑफिस में रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। इसका फायदा ये होता है कि लंबे समय तक किराया नहीं बढ़ेगा और किराएदार को भी यह भरोसा रहता है कि उसे जल्दबाज़ी में घर खाली नहीं करना पड़ेगा।
मकान मालिक को क्या फायदा होता है लंबा एग्रीमेंट करने से
5 साल का रेंट एग्रीमेंट मकान मालिक के लिए भी अच्छा सौदा हो सकता है। अगर वह चाहे तो सिर्फ एक नोटिस देकर किराएदार से मकान खाली करा सकता है, बिना कोई कारण बताए। हालांकि ये नियम हर राज्य में अलग हो सकता है, इसलिए एग्रीमेंट की शर्तें ध्यान से पढ़नी चाहिए।
किराएदार क्या सावधानियां रखें
- एग्रीमेंट की हर लाइन ध्यान से पढ़ें
- किराए की राशि, बढ़ोतरी की प्रक्रिया, और नोटिस पीरियड साफ हो
- मकान की हालत का निरीक्षण करके उसमें किसी कमी को एग्रीमेंट में लिखवाएं
- हर महीने किराए की रसीद जरूर लें
- क्या-क्या सुविधाएं मिल रही हैं और उनका खर्च क्या होगा, ये पहले ही तय कर लें
किराएदार और मकान मालिक का रिश्ता समझदारी और भरोसे पर टिका होता है। दोनों को एक-दूसरे के हक का सम्मान करना चाहिए। रेंट एग्रीमेंट इस रिश्ते को मजबूत करता है और गलतफहमियों से बचाता है। अगर सब कुछ साफ-साफ तय हो, तो किराएदारी का अनुभव भी अच्छा हो सकता है।