8th Pay Commission – सरकारी नौकरी करने वाले लाखों कर्मचारियों के लिए 8वां वेतन आयोग एक बड़ी उम्मीद की तरह देखा जा रहा है। सबको लग रहा था कि इस बार सैलरी में अच्छी खासी बढ़ोतरी होगी, लेकिन अब जो संकेत मिल रहे हैं, वो कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं। दरअसल, केंद्र सरकार ने हाल ही में 8वें वेतन आयोग के गठन की प्रक्रिया में थोड़ी तेजी दिखाई है। सरकार ने इसके लिए 40 पदों पर अधिकारियों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू कर दी है। ये अधिकारी अलग-अलग विभागों से लाए जाएंगे जो आयोग के काम में मदद करेंगे।
अब बात आती है असली मुद्दे की – क्या सैलरी में अच्छी बढ़ोतरी होगी? तो जवाब थोड़ा निराशाजनक है। पिछले वेतन आयोगों की तरह इस बार भी सबसे ज्यादा चर्चा फिटमेंट फैक्टर को लेकर हो रही है। यही वो आंकड़ा होता है जिससे तय होता है कि आपकी बेसिक सैलरी कितनी बढ़ेगी।
कर्मचारियों की नजर फिटमेंट फैक्टर पर
हर कर्मचारी यही सोच रहा है कि इस बार फिटमेंट फैक्टर कितना रहेगा। पिछली बार यानी 7वें वेतन आयोग में यह 2.57 था, लेकिन उस समय असल सैलरी बढ़ोतरी केवल 14.2 प्रतिशत ही हुई थी। क्यों? क्योंकि उस फिटमेंट फैक्टर में पहले से ही जो महंगाई भत्ता मिल रहा था, वो जोड़ दिया गया था। इस वजह से असल में सैलरी ज्यादा नहीं बढ़ी थी।
अब इस बार कर्मचारी चाह रहे हैं कि सिर्फ नंबरों का खेल न हो, बल्कि उनकी जेब में असल में कुछ ज्यादा पैसा पहुंचे। बहुत से कर्मचारी संगठन ये मांग कर रहे हैं कि फिटमेंट फैक्टर इस बार 2.86 होना चाहिए। अगर ऐसा होता है, तो 18 हजार रुपये की बेसिक सैलरी सीधे बढ़कर 51,480 रुपये हो सकती है।
क्या ये संभव है? विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
अब बात करते हैं असलियत की। पूर्व वित्त सचिव सुभाष गर्ग का मानना है कि इतनी बड़ी बढ़ोतरी व्यावहारिक नहीं है। उनके मुताबिक, फिटमेंट फैक्टर अधिकतम 1.92 तक ही जा सकता है। इसका मतलब यह हुआ कि अगर आपकी बेसिक सैलरी 18 हजार है, तो यह बढ़कर 34,560 रुपये हो सकती है। यानी उम्मीद से बहुत कम।
सरकार भी इस बार थोड़ा सतर्क नजर आ रही है क्योंकि 7वें वेतन आयोग की वजह से उस पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का बोझ पड़ा था। इस बार अगर सैलरी में ज्यादा बढ़ोतरी होती है, तो सरकारी खजाने पर और दबाव बढ़ेगा। यही वजह है कि सरकार हर कदम सोच-समझकर उठा रही है।
फिटमेंट फैक्टर से सैलरी कैसे तय होती है
फिटमेंट फैक्टर बेसिक सैलरी को गुणा करने वाला एक आंकड़ा होता है जिससे नई सैलरी तय होती है। जैसे अगर किसी की बेसिक सैलरी 18 हजार रुपये है और फिटमेंट फैक्टर 2.86 हो, तो नई बेसिक सैलरी 18 हजार गुना 2.86 यानी 51,480 रुपये हो जाएगी। लेकिन अगर यही फैक्टर 1.92 हुआ, तो सैलरी केवल 34,560 रुपये तक ही जाएगी।
यहां एक बात और समझनी जरूरी है – सिर्फ फिटमेंट फैक्टर का बढ़ना ही जरूरी नहीं होता, ये भी देखना होता है कि उसमें से कितना हिस्सा असल वेतन बढ़ोतरी का है और कितना महंगाई भत्ते का समायोजन है।
पुराने वेतन आयोगों से सबक
6वें वेतन आयोग में जब फिटमेंट फैक्टर 1.86 था, तब सैलरी में औसतन 54 फीसदी की बढ़ोतरी हुई थी। लेकिन 7वें वेतन आयोग में फैक्टर तो बढ़कर 2.57 हो गया, लेकिन सैलरी में इजाफा सिर्फ 14.2 फीसदी हुआ। ऐसे में कर्मचारी अब सिर्फ आंकड़ों पर भरोसा नहीं करना चाहते, वो असल में ज्यादा सैलरी चाहते हैं।
8वें वेतन आयोग की तैयारियां और अगला कदम
फिलहाल सरकार ने 40 अधिकारियों की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इसके बाद आयोग के लिए टर्म ऑफ रेफरेंस यानी काम की रूपरेखा तैयार की जाएगी। फिर आयोग के अध्यक्ष और बाकी सदस्य चुने जाएंगे। यही टीम तय करेगी कि सैलरी, भत्ते, पेंशन और बाकी सुविधाओं में क्या बदलाव किए जाएं।
उम्मीद की जा रही है कि आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं, लेकिन अभी इसकी कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।
कर्मचारियों की उम्मीदें बरकरार
सरकारी कर्मचारी अब भी उम्मीद लगाए बैठे हैं कि इस बार वेतन आयोग कुछ अच्छा लेकर आएगा। वो चाहते हैं कि न सिर्फ बेसिक सैलरी बढ़े, बल्कि मकान किराया भत्ता, ट्रांसपोर्ट भत्ता और बच्चों की पढ़ाई जैसे खर्चों में मिलने वाले भत्ते भी सुधारे जाएं। पेंशनर्स को भी उम्मीद है कि उनकी मासिक पेंशन में कुछ बेहतर बदलाव देखने को मिलेंगे।
सरकार, अर्थव्यवस्था और कर्मचारियों की उम्मीदों के बीच संतुलन बनाना आसान नहीं है। लेकिन एक बात तय है – अगर आयोग की सिफारिशें सही ढंग से लागू होती हैं तो 2026 की शुरुआत से केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनर्स के लिए हालात जरूर सुधर सकते हैं। अब देखना यह है कि फिटमेंट फैक्टर के इस गणित में आखिरकार कौन जीतता है – सरकारी खजाना या कर्मचारियों की जेब।